श्रीडूंगरगढ़ लाइव 07 जून 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
56 के अंक से घृणा
संवत 1956 यानि 120 वर्ष पहले ऐसा अकाल पड़ा था-जिसका असर तीन वर्षों तक रहा-यानि यह त्रिकाल था। लोगों के अन्न दांतों बैर पड़ गया। भुरट घास के दानें और खेजड़ी के छोडै पीस कर खाए। इस अकाल की गाथाएं दारुण हैं। लोगों के पास चांदी के रुपये थे-पर अन्न नहीं मिला। बहुत से लोग भूख से तड़फ कर मर गए।
ऐसी विकट स्थिति में व्यापार चौपट हो गया। व्यापारियों को ५६ अंकों से ही घृणा हो गई। इस अंक को अशुभ मानने लगे। इसके बाद वे अपनी बही में ५६ नम्बर का पानां खाली छोड़ने लगे। कोई दुहस्साहसी किसी व्यापारी के सीनाजोरी से पैसे मारना चाहता है तो कहता है–” छप्पन के पानै पर मांड लेना।” छप्पनिया अकाल को लेकर कई कहावतें और गीत बन गए।










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