श्रीडूंगरगढ़ लाइव 05 जून 2023। सोमवार को कस्बे में चल रही लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला में नव लेखकों को सम्बोधित करते हुए आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक विद्वान श्यामसुंदर सोनी ने कहा कि लिखना अब बहुत उपादेय हो चला है। वे बातें पुरानी हो गईं कि लेखक को भूखों मरना पड़ता है। लेखन की नवीन विधाओं से लोग घर बैठे मालामाल हो रहे हैं। उन्होंने लेखन अपनाने के छह प्रमुख बिन्दुओं पर जोर देते हुए कहा कि दृढ़ संकल्प कीजिए कि लेखक बनना है, इसके लिए आवश्यक साधना में कमी न रखें, परिष्कृत लेखन के लिए पुस्तकीय सहयोग लेना है, लेखन के लिए नैमितिक स्वाध्याय परम आवश्यक है, एवं इसके साथ ही अपने सृजन को निरंतर संवारते रहें। आखिरी बिंदु यह है कि साहित्य के मूल्य हजारों वर्षों तक तभी सुरक्षित रहेंगे जब इस कार्य को सेवा से जोड़ देंगे। साहित्य का रचना-कर्म शब्द योग करने जैसा है। ध्येय यह बने कि आपके रचे साहित्य से बहुत वर्षों तक यानी आपके बाद भी समाज को पाथेय मिलता रहे। श्यामसुंदर सोनी ने इस बात पर खास जोर दिया कि आप अपने चित्त को सदैव स्वीकारोक्ति में रखें। मुझे लेखन सीखना ही है, ऐसा निरंतर किया गया स्मरण आपको लेखन की ओर प्रवृत्त कर ही देगा।
राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि हमने इस शिविर के माध्यम से इस धारणा को भंग करने का कार्य किया है कि लेखन का कोई प्रशिक्षण संभव नहीं होता। अगले कुछ वर्षों में श्रीडूंगरगढ़ से साहित्यकारों की एक नई पीढ़ी अच्छी संख्या में सामने आएगी। वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ मदन सैनी ने कहा कि आप साहित्यकारों की रचनाओं को पढ़ते समय अपनी विधागत रुचि को समक्ष कर किताबें पढें, लिखने की जल्दी पैठ बनेगी।
लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला के संयोजक डाॅ चेतन स्वामी ने कहा कि आपका कृतित्व और व्यक्तित्व दोनों आपकी इच्छा पर निर्भर है। इच्छा शक्ति और उत्साह से ही लेखन जैसे कार्य को सुगम बना सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को पन्द्रह दिवसीय लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन होगा।










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