श्रीडूंगरगढ़ लाइव…19 मई 2023। अधिशाषी अधिकारी के दावों की पोल खोलता मुख्य बाजार,नेताओ की उदासीनता झेलता शहर कुछ ऐसी ही हालत हमारे शहर श्रीडूंगरगढ़ की हो गई है, जिसका कोई धणी धोरी नहीं है। कस्बे में सफाई व्यवस्था, बिजली व्यवस्था, पानी व्यवस्था चरमराई हुई है।

श्री डूंगरगढ़ के हालात देखकर साहिर लुधियानवी की 2 लाइनें याद आ रही है…
कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया,
बात निकली तो हर एक बात पे रोना आया,

कस्बे के मुख्य बाजार गांधी पार्क और SBI बैंक के पास हालात बदतर है। लोगो का आना जाना ही दूभर हो रखा है।विकास अधिकारी रामचंद्र जाट ने जब अधिशाषी अधिकारी का पदभार ग्रहण किया था तब आशा जगी थी कि कस्बे की सफाई व्यवस्था में जरूर सुधार देखने को मिलेगा। लेकिन स्थिति इसके ठीक उलट हो रखी है।
कस्बे में जब नगर पालिका का नव गठन हुआ तब लगा की कस्बे के विकास कार्यों को बल मिलेगा लेकिन राज्य सरकार और राज्य सरकार के नेता और उनकी क्षेत्र के प्रति उनकी उदासीनता ने कस्बे को नुकसान ही पहुंचाया है। नगर पालिका भाजपा की और प्रशासन कभी कॉमरेड कभी कांग्रेस दो पाटो में बंटा हुआ और इन दो पाटों के बीच पिसता ये शहर।
श्रीडूंगरगढ़ कस्बे को एक जन नेता की बेहद जरूरत है जो कस्बे के सामयिक मुद्दों पर आवाज उठाएं।
यहां के चुने हुए प्रतिनिधि और विधायक, विपक्ष के नेता, नगर पालिका में विपक्ष के नेता यह सभी श्री डूंगरगढ़ की आम समस्याओं पर सिर्फ चुनाव के वक्त ही बोलते नजर आते हैं। चुनाव होने के बाद में आमजन की समस्याओं से इनका कोई नाता नहीं रह जाता है। यह जनप्रतिनिधि वोट मांगते समय बड़े-बड़े वादे करके जाते हैं लेकिन चुनाव के बाद में वापस लौट कर उन वादों की याद उन्हें वापस वोट मांगते समय ही आती है। जनता स्वयं को ठगा सा महसूस करती है। जनता के काम, कस्बे की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रहती है।
जागना जनता को ही पड़ेगा। अपने इन नेताओं से जनता किसी बि तरह की आशाएं ना रखे ये इन नेताओं की उदासीनता से पता चल रहा है।










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