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इतिहास के पन्नो से… राजवी

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…11 मई 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

राजवी

बीकानेर राज्य में जागीरदारों को विभिन्न श्रेणियों में बांट रखा था। ये श्रेणियां थी–राजवी, सिरायत और गैर ताजीमी जागीरदार। राजवियों में महाराजा गजसिंह के वंशजों का मुख्य स्थान था। महाराजा के निकटवर्ती सम्बन्धी राजवी कहलाते थे। राजवियों में दो तरह के राजवी थे–एक ड्योढीवाले राजवी दूसरे हवेली वाले राजवी। महाराज श्रीडूंगरसिंहजी और गंगासिंहजी ड्योढीवाले राजवी थे। श्रीडूंगरगढ़ तहसील में रीड़ी और बणीसर राजवी ठिकाने हैं। बणीसरवाले हवेलीवाले राजवी थे। बणीसरवाले राजवियों में अमरसिंह जी बड़े विद्वान थे-उन्होंने “मिडाइवल हिस्ट्री ऑफ राजस्थान” तथा “छंद राव जैतसी ” की अंग्रेजी टीका लिखी।
श्रीडूंगरगढ़ तहसील को बीकानेर जिले में मिलाने के आंदोलन के सिलसिले में मैं कई बार बीकानेर के राणी बाजार स्थित डेरे में उनसे मिला। उनके समधी भैरोसिंह जी शेखावत थे। वे उस समय हमारे मुख्यमंत्री थे। अमरसिंह जी हमारे पक्ष में थे जबकि भैरोसिंह जी शेखावत बिल्कुल नहीं चाहते थे कि श्रीडूंगरगढ़ बीकानेर जिले का हिस्सा बने। पर हमारा आंदोलन रंग लाया और हमारी तहसील बीकानेर जिले में मिल सकी।

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