श्रीडूंगरगढ़ लाइव…05 मई 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
पुत्री के विवाह में नोता
बीकानेर के महाराजा गजसिंहजी के छह रानियों से 18 पुत्र व कुछ पुत्रियां हुई।
संवत 1827 में उनकी पुत्री सिरदारकुंवरी बाई का विवाह हुआ, तब पट्टे और खालसे के सभी गांवों के लिए नोते की एक निश्चित रकम तय की गई। हजारों गांवों के हुवालदारों को इस निमित्त पत्र भेजे गए। राज्य के कर्मचारी मूंधड़ा, कोठारी, शाह, मुंहता, दफ्तरी आदि किसी को नहीं छोड़ा गया। श्रीडूंगरगढ़ तो उस समय बसा नहीं था, इसके दोनों गांव रुपालसर को 50 तथा सारसू को 25 रुपये नोते के भेजने हेतु खरड़ा ( तकाजे का पत्र) भेजा गया। तहसील के गांव दूसारणा को 40, पुनलसर को 50, ऊपनी को 25, बापेऊ को 50, ठुकरियासर को 40, उदरासर को 20, लाधड़िया को 25, जालबसर को 25, तथा समदसर को 25 रुपये नोते के भेजने की जिम्मेदारी दी गई। विवाह से सैकड़ा गुना ज्यादा रकम इकट्ठी हो गई।










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