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लीगल एडवाइज :नियमित जमानत, अंतरिम जमानत और अग्रिम जमानत में अंतर

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…27 अप्रेल 2023। श्रीडूंगरगढ़ लाइव सटीक खबरों के साथ सामाजिक, ऐतिहासिक, स्वास्थ्यपरक कॉलम भी पाठकों के लिए प्रतिदिन प्रकाशित करता है। अब अपने पाठकों के लिए श्रीडूंगरगढ़ लाइव पोर्टल लेकर आया है “लीगल एडवाइज” यानि विधिक सलाह। युवा एडवोकेट सोहन नाथ सिद्ध आपको बताएंगे आपके अधिकारों के बारे में और आपको मिलेगी कानूनी सलाह।

नियमित जमानत, अंतरिम जमानत और अग्रिम जमानत में क्या अंतर होता है:-

नियमित जमानत

नियमित जमानत एक ऐसी जमानत है, जिसे गिरफ्तारी के बाद अदालत द्वारा किसी व्यक्ति को दी जाती है। जब कोई भी व्यक्ति गैर-जमानती अपराध और संज्ञेय करता है तो पुलिस उसे हिरासत में ले लेती है। पुलिस हिरासत की अवधि जब समाप्ति हो जाती है तब उसके बाद, अभियुक्त को जेल भेजा जाता है CRPC की धारा 437 और 439 के तहत, ऐसे आरोपियों को जेल से रिहा कराया जा सकता है इसलिए हम कह सकते हैं कि नियमित जमानत मुकदमे में उस व्यक्ति को अपनी मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए हिरासत से अभियुक्त की रिहाई हो सकती है

अंतरिम जमानत

अंतरिम जमानत यह कुछ समय के लिए जमानत दी जाती है, यह किसी भी आवेदन की पेंडेंसी के दौरान अदालत द्वारा दी जाती है या यह तब तक दी जाती है जब तक कि नियमित या एंटीऑप्टिटरी जमानत के लिए आपका आवेदन न्यायालय के सामने लंबित होता है यह कुछ शर्तों के साथ दी जाती है।

इसको बढ़ाया जा सकता है और यदि इसका समय समाप्त हो जाता है और साथ ही अभियुक्त व्यक्ति इसकी पुष्टि और / या अदालत के सामने इसको को बढ़ाने के लिए या जारी रखने के लिए कोई भी मांग नही करता है तो इसके के तहत दी गई रिहाई को रद्द कर दिया जाता है और आरोपी व्यक्ति को हिरासत में ले लिया जाता है और उसके खिलाफ वारंटी जारी कर दिया जाता है।

अग्रिम जमानत

अग्रिम जमानत एक ऐसी जमानत है जो किसी व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी से पहले भी दी जाती है, इस आशंका में कि वह कुछ समय के लिए एक निश्चित आपराधिक अपराध में गिरफ्तार हो सकता है। आजकल यह जरूरी होती है जहां प्रभावशाली व्यक्ति अपने विरोधियों को शामिल करते हैं, तुच्छ और झूठे आपराधिक मुद्दों में या तो उनकी छवि को नुकसान पहुंचाते सकते हैं तो कुछ अवधि के लिए उन व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता है, ताकि वे अपना काम कर सकें।

इसमें एफआईआर की कोई आवश्यकता नहीं होती है जो किसी व्यक्ति के खिलाफ इसके लिए आवेदन करने के लिए दायर की जाती है। जब कोई व्यक्ति अपनी गिरफ्तारी के लिए मौजूद उपर्युक्त आधारों का अनुमान लगाता है, तो वह एफआईआर दर्ज करने से पहले ही इसके लिए आवेदन कर सकता है।

एक व्यक्ति को एफआईआर दर्ज करने के बाद भी इसके लिए आवेदन करने का अधिकार होता है पर उस व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले इसके लिए आवेदन कर सकता है किसी व्यक्ति को एक बार गिरफ्तार कर लिया जाता है तो वह इसके लिए आवेदन नही कर सकता है और नियमित या अंतरिम जमानत के लिए आवेदन करना अनिवार्य हो जाता है…

 

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