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इतिहास के पन्नो से…

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…18 अप्रेल 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

हारे गोधन का सहारा-श्रीकृष्ण गौशाला

श्रीडूंगरगढ़ के कालू बास में एक गौशाला ऐसी है, जिसमें लावारिस, अपाहिज, असहाय गोधन को संरक्षण दिया जाता है। इस गौशाला का नाम है- श्री कृष्ण गौशाला। इसका संचालन श्रीकृष्ण गो सेवा ट्रस्ट के माध्यम से किया जाता है। इस अनूठी गौशाला में सच्चे मायने में पीड़ित गोधन की सेवा की जाती है। यह गोशाला श्री रामसुखदासजी महाराज की प्रेरणा से स्थापित हुई। कालूबास में प्रारंभ किए गए अकाल राहत गो सेवा शिविर को ही सन 1994 में गौशाला का स्वरूप दे दिया गया। कालू बास सनातन शमशान भूमि के पश्चिम में इस गोशाला की संस्थापना की गई। ट्रस्ट निर्माण के समय इसके सेटलर ट्रस्टी ओमप्रकाश राठी ने केवल गोसेवा के लक्ष्य को सर्वोपरि रखते हुए ट्रस्ट विधान में यह प्रावधान रखा कि इस ट्रस्ट में संकलित धन को कालांतर में किसी कारण से गोशाला न रहने पर भी गोसेवा अतिरिक्त किसी कार्य में नहीं खर्च किया जा सकता है। सन 1998 में गौ सेवा में अनुरक्ति रखने वाले तत्कालीन विधायक मंगलाराम गोदारा ने अपने विधायक कोटे से गोशाला की चारदिवारी तथा एक ट्यूबवेल का निर्माण करवाया तथा सरकार से गोशाला का पट्टा बनवाकर भी दिया। यूं तो इस गौशाला के प्रारंभ में कालूबास के अनेक सद्भावी गो सेवी जुड़े, जिनमें श्रीमालचंदजी झंवर, काशीरामजी सोनी, गोपीलाल जी मोहता, जीवराजजी झंवर, मालारामजी व्यास, हनुमानजी जोशी, रामेश्वरजी चांडक, बृजमोहन मोहता, किशनलाल तोषनीवाल आदि थे। खेतारामजी मोहता परिवार का इस गोशाला को सदैव ही सहयोग मिलता रहा। इन्होंने इसकी संस्थापना में बहुत अधिक रुचि दिखाई, किंतु एक व्यक्ति की यह गौशाला सदैव ही उपकृत रहेगी, वे हैं श्री ओम प्रकाश राठी। जिन्होंने इस गौशाला को व्यवस्थित रूप देने में अपना अथक योगदान प्रदान किया। उन्होंने इस गौशाला में सेवार्थ गाय गोद लेने का अभियान प्रारंभ किया, जिसके फलस्वरूप 250 लोगों ने गायों को गोद ले लिया। बाद में ऐसा ही अभियान मालचंदजी झंवर ने भी चलाया। गौशाला में एकत्र धन के ब्याज से गौशाला का संचालन किया जा रहा है। यहां की गायों को केवल गौशाला प्रांगण में ही रखकर सेवा की जाती है,उन्हें चराने के लिए अन्यत्र नहीं ले जाया जाता, क्योंकि यहां असाय गोधन की सेवा की जाती है। जन सहयोग से गायों के आवास निमित्त यहां सभी प्रकार की सुविधाएं जुटाई गई हैं। गायों व सांडों के लिए पृथक आवास बने हुए हैं। गौशाला में बहुत बड़े-बड़े चारगृह बने हुए हैं, जिनमें पूरे वर्ष भर का चारा संगृहीत कर रखा जाता है। गोशाला के भीतरी निर्माण कार्यों में दुलचासर के शंकरलालजी मूंधड़ा तथा हजारीमलजी मूंधड़ा का प्रारंभ से ही प्रशंसनीय सहयोग रहा है। समाज सेवी मालचंदजी झंवर ने मृत्युपर्यंत गौशाला को अपनी सेवा दी, वहीं शिवनारायणजी राठी प्रतिदिन दो बार गौशाला में जाना भूलते नहीं हैं। इस गौशाला का वातावरण अत्यंत रम्य है। पूरी गौशाला सैकड़ों पेड़ों से आच्छादित है। गौशाला में पेड़ लगाने का प्रारंभिक कार्य सत्यनारायणजी सोमानी ने किया। उनके सौजन्य से भगवान श्री कृष्ण का एक सुंदर मंदिर भी यहां बना हुआ है। गौशाला में एक सुंदर सत्संग भवन भी बनाया गया है। प्रतिदिन लोग यहां घूमने के लिए आते हैं। उनके लिए एक सुंदर पार्क का निर्माण स्वर्गीय रामचंद्र जी राठी के सुपुत्रगण ने अपनी माता श्री किस्तूरी देवी राठी की स्मृति में करवाया। इसी परिवार ने असहाय तथा बीमार गोधन की सेवा के लिए गौशाला परिसर के निकट ही एक पट्टेशुदा भूमि पर पशु चिकित्सालय का निर्माण भी करवाया है। इस गौशाला में श्री रामसुखदास जी महाराज का पदार्पण हो चुका है, वहीं गौशाला का प्रारंभ सिंथल रामसनेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर श्री क्षमारामजी महाराज के कर कमलों से हुआ था। वे यहां दो बार आ चुके हैं। वर्तमान में गौशाला 350 से अधिक गोधन की सेवा कर रही है। इस आदर्श गौशाला में किसी भी मालिक की गाय बछिया नहीं ली जाती है। बल्कि आवारा, असहाय गायों को ही पोषण दिया जाता है। गायों को प्रतिदिन चारे के साथ साथ अन्य पोष्टक वस्तुएं भी प्रदान की जाती हैं। असहाय गोधन की सेवा करने वाली इस गौशाला की सर्वत्र प्रशंसा होती रही है। गोशाला के वर्तमान पदाधिकारियों में अध्यक्ष रामेश्वर लाल तोसनीवाल, मंत्री इन्द्रचंद राठी, कोषाध्यक्ष मालचंद बजाज तथा हिसाब परीक्षक ओमप्रकाश मालपाणी हैं। भंवरलालजी पुरोहित बादीला तथा भंवरलालजी बोहरा वर्तमान में निरंतर गोशाला की गतिविधियों में जुड़ाव रखते हैं।
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