श्रीडूंगरगढ़ लाइव…20 मार्च 2023।राज्स्थान सरकार प्रत्येक जन प्रतिनिधि को राजी रखने के लिए प्रदेश के चहुंमुखी विकास में दोनों हाथों से लड्डू बाँट रही है पर इस सरकार को प्रदेश की भाषा राजस्थानी के लिए किसी भी तरह की घोषणा पर विचार व सौच की फ़िक्र नहीं है ।
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के अजमेर संभाग महामंत्री पवन पहाड़िया ने प्रदेश के यशस्वी मुख्य मंत्री अशोक गहलोत से मांग करते हुए कहा है कि आप जब तक प्रदेश की मायङ भाषा राजस्थानी को प्रदेश की राज भाषा नहीं बनाएंगे तब तक आपकी सरकार प्रदेश के साथ न्यायप्रिय नहीं हो सकती ।
वर्तमान की घोषणाओं में आपने कई बड़ीं बड़ीं सौगातें दैकर के प्रदेश के हर वर्ग को लुभाने की कोशीश की है पर जो प्रदेश की मूल भूत आवश्यकता है उसको आप लगातार नजर अंदाज करते हुए प्रदेश के हर वर्ग के साथ अन्याय कर रहे हैं ।
प्रदेश की मायङ भाषा को मान्यता नहीं देकर आप राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी अपमान कर रहे हैं , उन्होंने कहा है , बच्चे की प्राथमिक शिक्षा उसकी प्रादेशिक भाषा में नहीं करवाना उसकी हत्या करने के समान है ।
आप पक्के गांधीवादी होते हुए भी गांधीजी की नीति का अपमान कर रहे हैं , दुःख की बात है ।
आपके द्वारा यदि राजस्थानी भाषा को राज भाषा का दर्जा दिया जाता हैं तो अन्य प्रदेशों से यहां आकर यहां के युवाओ का हक मारकर नोकरी हथियाने वालों पर भी रोक लग जाएगी ।
हमारे देश के कई प्रदेश ऐसे हैं जिन्होंने बिना आठवीं अनुसूची के ही अपनी प्रादेशिक भाषा को अपने यहां मान्यता दे रखी है , छतीसगढ़ का उदाहरण हम सब के सामने है ।
अतः आपसे निवेदन है गेंद को केंद्र सरकार के पाले में नहीं बताकर आप स्वयं इस पर निर्णय लेकर अपना नाम व कार्यकाल स्वर्णाक्षरों में लिखवाकर प्रदेश के युवाओं के साथ न्याय करते हुए मायङ भाषा राजस्थानी को प्रदेश की दूसरी भाषा का दर्जा देने का श्रेय अपने कार्यकाल में लेने का शुभ कार्य शिघ्र करते हुए प्रदेश के स्वाभिमान को बढाने में सहायक बन सकते है । किसी भी निर्णय के लिए प्रबल इच्छा शक्ति का होना आवश्यक है और आप इसमें निपुण है ।
आप प्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए इस पर अवश्य कदम उठाएंगे ऐसी आशा है ।
सोर्स :पवन पहाड़िया डेह










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