






श्रीडूंगरगढ़ लाइव…16 फ़रवरी 2023।प्रिय पाठकां,
श्रीडूंगरगढ़ रा मानीजेड़ा अर लोकलाडला साहित्यकार “सत्यदीपजी” आपणै सागै रोजीनां मारवाड़ी में बतावळ करसी।
समरपण किणनै
कालै एक पोथी डाक सूं मिली। म्है उणरो कवर पेज देख परो, उणरी पाछल भी संभाळी। जिण लिखारै इण पोथी लिखणै रो अपराध(हूंसलो)कर्यो हो बो म्हारै दूर-दराज लागतै -पागतै रो भायलो हो।भायलो अर लागतो पागतो तो अब खेबी आ भी हुवै कै लागतो-पागतो किंया? तो बातड़ी ही आ, कै च्यारैक साल पैल्यां एक ठाडै सम्मेलन में म्हैं आयोजकां री भूल सूं, कै किणी री सिफारस सूं बठै नूतीज्यो हो। अब तिगणो भाड़ो अर दो दिन पेट अर जीभ दोन्यां रा सळ कढसी आ सोच म्है उण साहित रै मेळै में गयो हो। बठै ऐ भाई भी पांवणा हा। म्हां दोन्यां नै धरमसाळ रै एक कमरियै में रोड़ दिया हा। बठै म्हारी होई बंतळ ही म्हां दोन्यां नै लागता -पागता
भायला घड़ दिया हा। बै आपरै स्हैर रा खुदो खुद थरपीज्या भोमिया कवि जका आपरी लुगाई माथै, सिफाई माथै टुचकला नै कविता में घड़ै । ठट्ठा में कविता अर कविता में ठट्ठा करता दो पिस्या हंसी साथै दो आनी मजूरी भी कबाड़ै। म्हारा राम तो कागज काळा करै अर अखबारी छपास नै ही अडीकै। छपज्या तो खाख पिदावै। छपणै रो सुख सुरग रो सुख लखावै म्हनैं। ओ सुख देखतो भोगतो ही सुरगबासी होवणै री डांडी देखै।
बात कठै री ही अर कठै रो मारग पकड़ै। बीं पोथी रा आगला पांच पाना फिरोळ्या। पेलड़ै पेज माथै समरपण लिख्योड़ो हो। समरपण में भाई म्हारो लिख मार्यो “समरपण सगळा सुधि अर सोझीवान पाठकां नै !!!” ए ओळ्यां पढतां ही म्हारा तो भोगना ही किस्त खाग्या। पाठकां नै समरपण मतळब कुण पढसी? कबीर दास जी बापड़ा साव साची कथी ही “पोथी पढ पढ जग मुवा ” आपां अर सगळा लोग बीं ओळी नै ही गुरमंतर धार लियो हो, कै पोथी पढ्यां ही जगती मरज्या। अब इसो काम बाळणनै करणो। स्कूली पोथ्यां ही को पढी नीं। भलो हुवै बापड़ै हफ्तियै सीरीज रा महान लेखकां रो कै बै आपरै हफ्तियै गरंथां में कोरस रा सताईस सवाल रटाण बिद्या साथै पास हुवणै री गारंटी दीवी। अठै पचास पानां री बा पोथी च्यार जणा भैळप में च्यार सो रीपीयां कीमत में कीं कमीसन कटा तीन सो में कबाड़ी। बै तीन सो रीपीया एक नै पूरोसूरो अर दो नै सपलीमेंटरी दिरा आघो धिकायो अर एक साव फेल ।बो पछै समझग्यो कै पढो तो कै बडेरां रो नाम निसरै आपां तो लिखो। बो भायलो आछो लेखक बणनै आभै में आधै चांद सो अधरातियै उफस्यो। बात इण भायलै लेखक री कीं अलायदी है। बो पाठकां नै आ पोथी समरपण क्यूँ करी? उपासरै में कांगसिया अर मोडां खनै मखाणां बेसक लाधै पण पोथी नै पाठक!! कमेड़ी केवै ज्यूं कोऽई कोऽई।
बै कोई कोई ही को लाधै नीं। इण अबढै समै में पाठक। आ सोच परी म्हारी रूंवाळी खड़ी होज्यावै। म्हारै अठै री नामी गिरामी साहित संस्था ढूंढ्या हा पोथ्यां सारु पाठक। आ आफळ करी ही स्हैर रै लेखकां रो झुंड।खुद रै खैणी तमाकू अर पान पुड़िया रो बलिदान कर पढेसरी बणनियां पाठकां नै लडाया, पढणै सारु पोथ्यां दी। अब ना तो बै पोथ्यां लाधी, अर ना ही बै लाखीणा पाठक। पाठक मिलणो अर कशमीर समस्या रो सुळझणो अब रै अबढै बगत जबरजंगी काम हुवै। अब इसै कुजरबै समै में समरपण बो ही सोझीवान पाठक नै। साच तो आ हुवै कै सोझीवान होसी बो पाठक?ना बाबा ना, पाठक कद सोझीवान हुवै। अठै आ भी साच है, कै लिखारो ही एकलो पाठक हुवै। बो लिखै पछै पढै। छपावै तो प्रूफ रीडिंग करतो पढै। छप्यां पछै आप ही पढै अर अणुतो राजी हुवै। पछै केई साहित रा चावाठावा थरपीज्या भोमियां नै भेजै। भोमियां ने चिलकणै कागज पर अरज रा आखर लिखै। पढणै सारू लिलड़ी गावै। भोमियां रो भेजो भोत सोझीवान हुवै। बै उणरी पोथी रा पाठक बणनै री ठोड़, पोथी नै ऊंडै आळै में धर जाणै हिड़ावड़ै ढांढै नै फाटक में दियो हुवै न्हाक पिंड छुटावै। फेरूं ही म्हारो भायलो आ हिम्मत कर आपरी पोथी सूंपतो पाठक ढूंढ्या।उणनै तो साहित रो सैं सूं ठाडो इनाम मिलणो चाईजै। पण आपणी कुण सुणै। ए इनाम तो सगळा आपरै लागता-पागता नै ही बगसावै। बै ही बांरा गुण गावै।
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सत्यदीप, श्रीडूंगरगढ।










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