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श्रीडूंगरगढ़ लाइव…09 फ़रवरी 2023 ।प्रिय पाठकां,
श्रीडूंगरगढ़ रा मानीजेड़ा अर लोकलाडला साहित्यकार “सत्यदीपजी” आपणै सागै रोजीनां मारवाड़ी में बतावळ करसी।

साधना

आ बात एकदम साधारण सी लखावै पण घणी असाधारण हुवै। एक भाव जी में आवै। अठै चितार उठै, कै साधना सूं सन्यास उपजै का पछै सन्यास सूं साधना रा खुरखोज लखावै।मिनखाजूण तो संकळपां-विकळपां रो ढक्योड़ो डूंगो गुंभारियो हुवै। जठै मन च्यानणों पूगणै रा बै सगळा बेझका ढक दिया है। जीव मुगती
रो मारा झालणै री जचावै। मुगत होवणो भी चावै पण उणनै मुगत होवणै सूं घबराट भी हुवै। भगवान श्रीकृष्ण आपरी वाणी गीता में इण उळझण नै इण भांत बताई है।
असंशयं महाबाहो! मनो दुर्निग्रहं चलम्।
अभ्यासेन तु कौंतेय! वेराग्येण च गृह्यते।।
मन बस में होवणो घणो दोरो हुवै। क्यूं कै जी में तो संकळपां-विकळपां री घ्यारी माची रेवै । अठै अभ्यास ही एकलो साधन हुवै जको मीन नै साधै।
आपां केई बार देखां हां गोड़बाजिए रो सड़क माथै खेल, गोड़बाजियो दो किनारां पर बांस रोपै। उण माथै एक झूलतो जेवड़ो बांधै। उण जेवड़ै पर एक छोटी बायली उभाणां पगां एक लांबो बांस हाथां में झाल चालै। नीचै गोड़बाजियो ढमाढम ढोल बजावै ।जठै बो खेल दिखाईजै बठै भेळी आसै-पासै री जनता भी हाको करै।गोड़बाजियो भी कीं ना कीं बोलतो रेवै।
। अब सोचणै री बात आ है, कै उण बायली री साधना कै हुवै। ढोल रो ढमको, आपरा पग, झूलतो जेवड़ो ,कै लांबो बांस जको उणरै हाथ में झाल्योड़ो है। उण बांस नै झालनै ही बा हालतै जेवड़ै पर आपरा करतब दिखावै। बस ओ ही एक झीणो सो सूक्ष्म बिंदु हुवै। अभ्यास नै ही तो साधणो है। बायली साधै आपरो मन, आपरी आंख अर आपरी हिम्मत। लांबै बांस रै ठीक बिचाळै ढूंढै एक अदीठ बिंदु अर उणनै पिछाण सगळै हाकै नै भूलज्यावै। भूलज्या हालतै जेवड़ै नै। सांस साध खुली हवा में पग बधातां उणरो डर ठोका दै ज्यावै। मन नै बांधणो, मन नै साधणो सीखणो ही बा मंजळ दिरावै। इण सारु जैन उतराध्ययन एक बात बतावै।
पधावंतं निगिण्हामि, सुयरस्सीसमाहियं।
न मे गच्छई उम्मग्गं, मग्गं च पड़वज्जई।।
मानै मन सरुप घोड़ै नै जद सुरति री लगाम लगा,भजनां रै पागड़ै पग राख चलावां तो ही बो सगळा कोतकां सूं बचनै जीत री मंजळ हासल करसी। सुरति नै साधणै रो अभ्यास ही मन नै
“शिव संकल्पमस्तु मे मनः” आळी पवितरता री दिसा खानी लेज्यासी। नींतर तो भटकणो, भटकणो भटकणो ही पल्लै पड़सी ।
इति आनंद।
सत्यदीप।

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