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श्रीडूंगरगढ बीदासर ओवरब्रिज बनेगा गांवों को जोड़ने के साथ सामरिक महत्त्व वाला…

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…1 फ़रवरी 2023 ।

“विकास की दूरगामी सोच का परिचय दे सरकारें और प्रशासन”

श्रीडूंगरगढ राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवस्थित एक प्रगतिशील क्षेत्र है। इसे हम प्रगतिशील कस्बा इसलिए भी कह सकते हैं क्योंकि पूरे एशिया महाद्वीप में सबसे ज्यादा मूंगफली उत्पादन इसी बेल्ट में होता है और इसके साथ मरुस्थलीय क्षेत्र होने के बावजूद यह अपने दमखम पर सभी प्रकार की फसलो का बिजान करता है और शानदार पैदावार भी लेता है। मूलतः कृषि पर निर्भर इसकी अर्थव्यवस्था में इसके ग्रामीण अंचलों का योगदान अहम है। इसके विकास में राष्ट्रीय राजमार्ग सहित स्टेट हाइवे और रेलमार्ग बड़ी अहम भूमिका निभाते हैं। श्रीडूंगरगढ कस्बे के दक्षिण दिशा में श्रीडूंगरगढ बीदासर मार्ग से लगभग 40 गांव जुड़ते है और इन गांवों के साथ निकटवर्ती कस्बे, शहर भी इससे जुड़े हुए है। इसके साथ लगभग 7 हजार दुपहिया सहित बड़े वाहन यहाँ से गुजरते है जिनके साथ यहां से गुजरते है 1 लाख लोग। जो श्रीडूंगरगढ से बीकानेर और अन्यत्र जाते है, आते हैं। कस्बे में प्रवेश से पहले उन्हें रेलवे क्रासिंग को पार करके आना पड़ता है। यहां तक तो सब ठीक है परन्तु बढ़ते जनसँख्या घनत्व के साथ वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है और उसके साथ रेलवे ट्रैक्स पर रेलों का आवागमन भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में रेलवे क्रासिंग का फाटक 24 घण्टे में 7 घण्टे बंद रहता है। जिसके कारण दोनों तरफ सैंकड़ों वाहनों की लंबी कतारें लग जाती है और 40 गांवों से जोड़ने वाला यह मार्ग एकबार रेलवे फाटक बंद होने के कारण 30 मिनट तक पूर्णतया अवरुद्ध हो जाता है। ऐसे में सबसे बड़ी और दुःखी करने वाली बात तब हो जाती है जब किसी मरीज के लिए जहां जिंदगी से जंग जितने का एक-एक मिनट भी काफी अहम होता है और उसे फिर हाथों से लिफ्ट करके दूसरी गाड़ियों में शिफ्ट करन पड़ता है और इस लिफ्टिंग, शिफ्टिंग में मरीज की सांसें उखड़ने लग जाती है। यह दर्द उस गर्भवती महिला से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता जिसके लिए रेलवे फाटक को बंद होने की दशा में पैदल या लिफ्टिंग होकर पार करना पड़ता है। वाहनों की लंबी कतारों में सभी एकदूसरे से जल्दी निकलने की कोशिश में दुर्घटना को भी अंजाम दे देते है क्योंकि सबको जल्दी रहती है जाने की, किसी को स्कूल तो किसी को घर तो किसी को ऑफिस तो किसी को अस्पताल। इस आपाधापी में वाहन टकरा जाए तो यहां आश्चर्य वाली बात बेमानी-सी लगती है।
श्रीडूंगरगढ की यह बीदासर वाली रोड कालू, लूणकरणसर को जोड़ती है जो सामरिक महत्त्व वाली है। यह रोड पूर्णतया बनकर जब तैयार हो जाएगी तो वह दिन दूर नहीं जब किसी भी विपदा की स्थिति में हमारे सैनिक इस रोड का आराम से उपयोग करेंगे। परन्तु इस प्रकार से फाटक बंद हुए तो कैसे इसकी उपयोगिता साबित होगी। अभी वर्तमान में ट्रेनों का संचालन मात्र 40 के लगभग होता है परन्तु धीरे-धीरे ट्रेनों का यह आवागमन बढेगा और उसके साथ बढ़ेगी फाटक बंद रहने की समस्या। जो एक नासूर बनकर सबको दुःख देगी।

श्रीडूंगरगढ कस्बे के विभिन्न राजनैतिक संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता वर्षों से इस मार्ग पर ओवरब्रिज बनाने की मांग स्थानीय प्रशासन से लेकर उच्चस्तरीय रेल प्रशासन और राजनेताओं से कर चुके हैं परन्तु पराई पीड़ आजकल सीधी नहीं दिखाई देकर आंदोलन, आक्रोश रैलियों और आक्रमकता के साथ ही दिखाई देती है। सरकारें और रेलवे प्रशासन श्रीडूंगरगढ बीदासर क्रासिंग पर अंडरब्रिज बनाने की बात तो कहता है परन्तु आगे आने वाले कुछ वर्षों में यह अंडरब्रिज नाकाफी होगा और वर्तमान में भी अण्डरब्रिज इस जगह कोई उपयोगिता साबित नहीं कर पायेगा। इसके बहुत से पहलू है जिन पर सरकार और प्रशासन को सूक्ष्मता से अध्ययन करना चाहिए। अंडरब्रिज होने पर एक तो यहां पानी भरेगा जो आवागमन को निश्चित रूप से बाधित करेगा और उसके साथ 5 मीटर ऊंचाई वाले अण्डरब्रिज में 27 फीट ऊंचाई वाले वाहन कैसे निकलेंगे ? यह एक यक्ष प्रश्न है। इसके साथ ही बड़ा प्रश्न यह भी है कि सरकार इसके निर्माण को लेकर इतना क्यों नाटक कर रही है जब उसे पैसा जनता के सुविधा में ख़र्च करना है और हकीकत में यह धन है तो जनता का ही। कोई सरकारें या प्रशासन अपनी जेब से थोड़ी ही देता है। जब विकास करना है तो आगामी 50 वर्षों की परिकल्पना को लेकर करना होगा ताकि वर्तमान में कस्बे के घुमचक्कर के जो हालात है वह इसके साथ न हो।

आशा करते है कि रेलवे ओवरब्रिज के लिए वर्तमान की सभी राजनैतिक दलों की इस महापंचायत से जनता लाभान्वित होगी और सरकार जनता की इस जायज मांग को स्वीकार करेगी।

“श्रीडूंगरगढ़ लाइव”

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