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इतिहास के पन्नो से….शर्तो पर बसा है श्रीडूंगरगढ़…

 

 

श्रीडूंगरगढ़ लाइव….31 जनवरी 2023 ।

प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा करेंगे।

★ श्रीडूंगरगढ़ शहर बसाने की बीकानेर राज्य की कुछ सरकारी शर्तें

श्रीडूंगरगढ़ बसने के एक वर्ष बाद बीकानेर के महाराजा डूंगरसिंहजी ने नए बसे श्रीडूंगरगढ़ के लिए कुछ शर्तें (नियम) कायम की। ये सभी शर्तें सभी बहुत दिलचस्प हैं तथा राजस्थानी भाषा में हैं। जो इस प्रकार हैं।
• श्रीडूंगरगढ़ रा साहूकारां समसुतां जोग्य तिथा। थे दरबार सूं दरखास्त की। श्री जी साहब मालूम कीवी। सू थारी दरखास्त मुजब इयै भांत कलमां थांरी सही कराय कागद कर दीया छै। ते मुजब सही रैयसी, फरक न पड़सी। कलमां री विगत।
• थांरो भाई कुंवारो थको वा परणीज्योड़ो थारै भिजोक सूं तिको धक जासी ( मर जाना)। तिको गईवाळ न हुसी।( जिसके आगे पीछे कोई नहीं होता उसे गईवाळ कहा जाता था और उसकी संपति पर सरकार कब्जा कर लेती थी।)
• दीवानी मुकदमां रो फैसलो हुसी, ते री रसम दावो पंचोतरी रा रोकड़ा रिपिया भरीजसी ते री उवै वखत लिरीजसी अर खंधी किस्त हुसी ते री मियाद पूगां सूं रिपिया थांनै भरसी, लीजसी।
• घर-हेली करावण वास्तै थे भाटो चूनो मंगासो ते रो लागो ( कर) न लागसी।
•श्रीडूंगरगढ़ सूं माल अठकोसी रै गांवां में जासी वा अठकोसी रै गांवां सूं लासी, ते री जगात ( चुंगी कर) श्रीडूंगरगढ़ में लागसी। अठकोसी रै गांवां में न लागसी।
• बजार वा घर नोहरां री नासक (गलियां) हणै रैई छै, तीकी रहसी।
• जमां रा खेत साहूकारां नै जमीं बीघा १०००० गुवाड़ी रो उचाळो देख’र हुवालदार देसी। ते रा वीघोड़ी रा बीघा १०० लारै ढाई रिपिया लिरीजसी। अर बिना जमां रा खेत कोई बाहसी ते सूं जमीं बीघा १०० लारै ५ रिपिया लिरीजसी।
• सहूकारां कनै ऊंट, गाडी, बहेली, वा दूध, दही, छाछ वगैरै जिनस मांग’र लीजसी। वा जबरी (जबरदस्ती) सूं बेगार में न पकड़सी।
• हळ, लासिया कोरड़ सूं सहूकारां न लागसी।
• गायां गोधां रै चरण वास्तै बीड़ जमीं बीघा ८००० छोडी जासी। पण स्हैर री जमीं री गुंजाइश देखी जासी।
• व्याव, दसोटण, ओसर वा कोई बडो नुकतो ( आयोजन) हुसी, ते में रिपिया २ लागसी।
• जान बरात में सहूकार नगारो नीसांण ले जासी, ते रै लाजमें (कर) रो सवा रिपियो लागसी। घोड़ा रा दांणा अर दमामियां रो पेटियो पाखती लागसी। जादा विवार न होसी।
• कोई में गुनो कसूर हुसी, तेरी गुनैगारी, जरीवानो ( जुर्माना) पांच आदमियां री साबूती रै साथै लिरीजसी। कोई सूं दुखदाई सूं, चुगली खासी तेरो तारो काढ लीजसी। बेजां विवार न हुसी।
• कोई साहूकार परदेस में हुसी अर घर में मिनख न हुसी, लारै लुगायां हुसी अर उवै में कोई मुकदमों आय जासी तो लुगाई न बुलासी। लुगाई मुखतियार कर देसी। तिकै सूं जबाव लीयो जासी।
• साहूकारां रै घर, हेली, दूकानां, नोहरां रै काम में कारीगर, मजूर लागसी वा भाठा खैण सूं काढसी, तेरो कोई कुदरत सूं लाग जावै तो इलाज साहूकार नै लागसी।

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