जोशीमठ या ज्योतिर्मठ भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली ज़िले में स्थित एक नगर है जहाँ हिन्दुओं की प्रसिद्ध ज्योतिष पीठ स्थित है। यहाँ 8वीं सदी में जगतगुरू आदि शंकराचार्य जी को ज्ञान प्राप्त हुआ और बद्रीनाथ मंदिर तथा देश के विभिन्न कोनों में तीन और मठों की स्थापना से पहले यहीं उन्होंने प्रथम मठ की स्थापना की। शीतकाल मे इस शहर में बद्रीनाथ की गद्दी विराजित होती है जहां नरसिंह के सुंदर एवं पुराने मंदिर में इसकी पूजा की जाती है। बद्रीनाथ, औली तथा नीति घाटी के सान्निध्य के कारण जोशीमठ एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गया है।

जोशीमठ में आई त्रासदी ने हजारों परिवारों को विस्थापित होने के लिए मजबूर किया। दरार वाले घरों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। असुरक्षित भवनों की संख्या 863 हो गई है।


सारी समस्याओं के बीच अब जोशीमठ पर बिजली सप्लाई की संकट गहरा सकती है। जोशीमठ में करीब 70 बिजली के खंभे और कुछ ट्रांसफार्मर झुकना शुरू हो गए हैं।
भू-धंसाव के बाद जोशीमठ पर मौसम की मार पड़ी है। बारिश और बर्फबारी के ने मुश्किलें बढ़ाई हैं। गुरुवार रात से ही जोशीमठ क्षेत्र में बारिश और बर्फबारी हो रही है, जो शुक्रवार को दिनभर रुक-रुककर जारी रही। इसके चलते दो होटलों समेत 20 भवनों की डिस्मेंटलिंग का काम नहीं हो पाया। इसके पहले डिस्मेंटलिंग के चलते हाईवे के इस हिस्से पर वाहनों की आवाजाही बंद की गई थी।बारिश के कारण घरों और उसरे आस-पास पड़ी दरारों में पानी का रिसाव हो रहा है। जिससे भूस्खलन का डर है।
वर्तमान में हालात बद से बदतर हो रहे है हताहत स्थानीय निवासियों के लिए रहने की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। जिन आशियानों के गिरने का डर है उनको प्रशासन द्वारा ही तोड़ा जा रहा है

40 साल पहले ही दे दी थी चेतावनी
करीब 40 साल पहले केंद्र सरकार ने गढ़वाल के तत्कालीन कलेक्टर एमसी मिश्रा को यह पता लगाने के लिए नियुक्त किया था कि जोशीमठ क्यों डूब (Joshimath Sinking) रहा है? उनके नेतृत्व वाली 18 सदस्यीय समिति द्वारा इस बाबत एक रिपोर्ट पेश की गई। इसमें साफ तौर पर बताया गया कि उत्तराखंड (Uttarakhand) में जोशीमठ एक पुराने भूस्खलन क्षेत्र (Joshimath landslide) पर स्थित है और अगर विकास जारी रहा तो यह डूब सकता है। रिपोर्ट में सिफारिश की गईं कि जोशीमठ में निर्माण प्रतिबंधित किया जाए, वरना यह डूब जाएगा। रिपोर्ट इससे अधिक भविष्यसूचक नहीं हो सकती थी।
1976 की मिश्रा समिति की रिपोर्ट ने बताया था… जोशीमठ एक प्राचीन भूस्खलन पर स्थित है, जो चट्टान नहीं बल्कि रेत और पत्थर के जमाव पर टिका है। अलकनंदा और धौली गंगा नदियां.. नदी के किनारों और पहाड़ के किनारों को मिटाकर भूस्खलन को ट्रिगर करने में अपनी भूमिका निभाती हैं। निर्माण गतिविधि में वृद्धि और बढ़ती आबादी क्षेत्र में लगातार भूस्खलन में योगदान देंगी।










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