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जानिए भ्रामरी प्राणायाम के अद्भुत लाभ और सावधनियां योग गुरु ओम कालवा के साथ.

श्रीडूंगरगढ़ लाइव न्यूज 7 जुलाई 2021

जानिए भ्रामरी प्राणायाम के अद्भुत लाभ और सावधनियां योग गुरु ओम कालवा के साथ.

विधि

हठप्रदीपिका के अनुसार भ्रामरी में पुरक के दौरान भ्रंगनाद (नर मधुमक्खी की ध्वनि) और रेचक के दौरान भृंगीनाद (मादा मधुमक्खी की ध्वनि) उत्पन्न होती है जिसको हठ प्रदीपिका में निम्न तरह से बताया गया है।

वेगाद्घोषं पूरकं भृङ्गनादं भृङ्गीनादं रेचकं मंदमंदम्।
योगीन्द्राणामेवमभ्यासयोगाच्चित्ते जाताकाचिदानंदलीला।। – ह. प्र. 2/68

सबसे पहले आप पद्मासन या सिद्धासन या किसी भी आरामदायक अवस्था में बैठें।
आंखें बंद कर लें।
मुंह बंद रखें और गहरा श्वास लें।
श्वास छोड़ते समय मधुर गुनगुनाने वाली ध्वनि करें।
दोनों कानों को अंगूठों से बंद कर लें और मधुमक्खी के गुनगुनाने की ध्वनि के साथ श्वास छोड़े।
यह एक चक्र हुआ।
इस तरह से आप 10 से 15 बार करें। और फिर धीरे धीरे इसको 10 से 15 मिनट्स तक करते रहें।

लाभ

वैसे तो भ्रामरी प्राणायाम के बहुत सारे फायदे हैं। यहां पर इसके कुछ महत्वपूर्ण लाभ के बारे में बताया गया है।

मस्तिष्क को शांत: भ्रामरी प्राणायाम मस्तिष्क को प्रसन्न एवं शांत रखता है।
तनाव : यह तनाव एवं घबराहट से राहत दिलाता है।
क्रोध कम करने में : यह क्रोध को कम करने में अहम भूमिका निभाता है।
समाधि का अभ्यास: यह चेतना को अंदर तक ले जाता है और समाधि का अभ्यास देता है।
चिंता को दूर करने में: यह प्राणायाम चिंता को कम करने में बहुत अहम रोल निभाता है।
डिप्रेशन के लिए बेहद जरूरी: अगर आप डिप्रेशन से ग्रसित हैं तो इस प्राणायाम का अभ्यास जरूर करें। यह डिप्रेशन को कम करने में रामबाण का काम करता है।
वासना : वासना की मानसिक और भावनात्मक प्रभाव को कम करता है।
शांत करने में: चूंकि यह प्राणायाम आपके शरीर को शीतलता प्रदान करती है जिसके कारण यह आपको शांत करने में अहम् भूमिका निभाता है।
स्वास्थ्य के लिए: यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसका नियमित अभ्यास से आप बहुत सारे परेशानियों से बच सकते हैं।

सावधानियां

कानों में संक्रमण के दौरान इसे नहीं करना चाहिए।
हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति को यह कुंभक के बिना करना चाहिए

 

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