
श्रीडूंगरगढ़ लाइव न्यूज।15 फरवरी 2021।
दिनांक :- 15 फरवरी 2021
वार :- सोमवार
तिथी :- चतुर्थी 27:36:22*
पक्ष :- शुक्ल पक्ष
माह :- माघ
नक्षत्र :- उत्तरभाद्रपदा 18:27 बजे तक तत्पश्चात रेवती नक्षत्र शुरू
चन्द्र राशि :- मीन
सूर्य राशि :- कुम्भ
ऋतु :- शिशिर
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:13 बजे
सूर्यास्त :- 18:23 बजे
दिन काल :- 11 घण्टे 10 मिनट
रात्री काल :- 12 घण्टे 48 मिनट
चंद्रोदय :- 09:27 बजे
चंद्रास्त :- 21:45 बजे
राहू काल :- 08:37 – 10:01 अशुभ
अभिजित :- 12:26 -13:11 शुभ
दिशाशूल :- पूर्व दिशा में
पंचक :- लागू
समय मानक :- श्रीडूंगरगढ़ (बीकानेर) राज.
चोघडिया, दिन
अमृत :- 07:13 – 08:37 शुभ
काल :- 08:37 – 10:01 अशुभ
शुभ :- 10:01 – 11:24 शुभ
रोग :- 11:24 – 12:48 अशुभ
उद्वेग :- 12:48 – 14:12 अशुभ
चर :- 14:12 – 15:36 शुभ
लाभ :- 15:36 – 16:59 शुभ
अमृत :- 16:59 – 18:24 शुभ
चोघडिया, रात
चर :- 18:24 – 19:59 शुभ
रोग :- 19:59 – 21:36 अशुभ
काल :- 21:36 – 23:12 अशुभ
लाभ :- 23:12 – 24:48* शुभ
उद्वेग :- 24:48* – 26:24* अशुभ
शुभ :- 26:24* – 27:59* शुभ
अमृत :- 27:59* – 29:36* शुभ
चर :- 29:36* – 31:12* शुभ

💥 विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।
महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
☄️ दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।
सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।
सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।
जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है ।
✏️ तिथि के स्वामी – चतुर्थी तिथि के स्वामी देवताओं में प्रथम पूज्य भगवान गणपति गणेश जी है ।
🪙 नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के देवता अहिर्बुंधन्य देव, स्वामी शनि देव जी एवं वहीं राशि स्वामी गुरु है।
⚜️ दिशाशूल – सोमवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दर्पण देखकर, दूध पीकर जाएँ ।
🚙 यात्रा शकुन- मीठा दूध पीकर यात्रा करें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ सौं सोमाय नम:।
🤷🏻♀️ आज का उपाय-गणेश मंदिर में लड्डू चढ़ाएं।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय- पलाश के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व व त्यौहार- वरद विनायक चतुर्थी व्रत, मूल प्रारंभ, गणेश जयंती, तीलकुंद चतुर्थी
✍🏼 विशेष – चतुर्थी तिथि को मूली एवं पञ्चमी तिथि को बिल्वफल त्याज्य बताया गया है। इस चतुर्थी तिथि में तिल का दान और भक्षण दोनों त्याज्य होता है। इसलिए चतुर्थी तिथि को मूली और तिल एवं पञ्चमी को बिल्वफल नहीं खाना न ही दान करना चाहिए। चतुर्थी तिथि एक खल और हानिप्रद तिथि मानी जाती है। इस चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी हैं तथा यह चतुर्थी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह चतुर्थी तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभफलदायिनी मानी गयी है।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को तिलकुंद चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 15 फरवरी 2021, सोमवार को किया जा रहा है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है, साथ ही विनायक चतुर्थी भी मनाई जाती है। पुराणों में भी इस चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है, खासकर महिलाओं के लिए इस व्रत को उपयोगी माना गया है। इस चतुर्थी को वरद चतुर्थी भी कहा जाता है।
शास्त्रों में वर्णित है कि जो लोग नियमित रूप से विघ्नहर्ता भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करते हैं, उनके जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते जाते हैं। मंगलमूर्ति और प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को ‘संकटहरण’ भी कहा जाता है। तिलकुंद चतुर्थी के दिन व्रत रखकर भगवान श्रीगणेश का पूजन करने से सुख-समृद्धि, धन-वैभव तथा आत्मीय शांति की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, व्यवसाय में बरकत तथा घर में हमेशा खुशहाली बनी रहती है।
पूजन विधि :
तिलकुंद चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें।
इसके बाद आसन पर बैठकर भगवान श्रीगणेश का पूजन करें।
पूजा के दौरान भगवान श्रीगणेश को धूप-दीप दिखाएं।
फल, फूल, चावल, रौली, मौली चढ़ाएं, पंचामृत से स्नान कराने के बाद तिल अथवा तिल-गुड़ से बनी वस्तुओं व लड्डुओं का भोग लगाएं।
श्रीगणेश की पूजा करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।
पूजा के बाद ‘ॐ श्रीगणेशाय नम:’ का जाप 108 बार करें।
शाम को कथा सुनने के बाद गणेशजी की आरती उतारें।
इस दिन गर्म कपड़े, कंबल, कपड़े व तिल आदि का दान करें।
इस प्रकार विधिवत भगवान श्रीगणेश का पूजन करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि में निरंतर वृद्धि होती है।
⚜️ चतुर्थी को गणपित जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।
चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है, कार्यो में श्रेष्ठ सफलता मिलती है ।चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है।
यदि चतुर्थी तिथि यदि गुरुवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है, इस समय में शुभ कार्य करना वर्जित है।लेकिन यदि चतुर्थी तिथि शनिवार को होती है तो वह सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय में किया गया कार्य सिद्ध होता है।
चतुर्थी तिथि को रिक्ता तिथि कहते है इस दिन शुभ कार्यो का प्रारम्भ शुभ नहीं समझा जाता है ।किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है, और चतुर्थी को बैगन खाने से रोग बढ़ते है ।
🌷 दरिद्रता नाश करने के लिये 🌷
🌞 सूर्य नारायण को प्रार्थना करें, जल चढ़ायें
➡ चावल और गाय के दूध की खीर बनायें और सूर्य देव को भोग लगायें
➡ इतवार को बिना नमक के भोजन करने को कहा गया है ।
💥 ऐसा कुछ समय तक करने से दरिद्रता दूर होती है, इसमें शंका नही ।
🌷 वसंत पंचमी 🌷
🙏🏻 16 फरवरी 2021 मंगलवार को वसंत पंचमी माँ सरस्वती का प्रागट्य दिवस है । सारस्वत्य मंत्र लिए हुए जो भी साधक हैं , सरस्वती माँ का पूजन करें और सफेद गाय का दूध मिले अथवा गाय के दूध की खीर बनाकर सरस्वती माँ को भोग लगायें । सफेद पुष्पों से पूजन करें और जिन विद्यार्थियों ने सारस्वत्य मंत्र लिया है वे तो खास जीभ तालू पर लगाकर सारस्वत्य मंत्र का जप इस दिन करें तो वे प्रतिभासम्पन्न आसानी से हो जायेंगे ।
🙏🏻 वसंत पंचमी सरस्वती माँ का आविर्भाव का दिवस है । जो भी पढ़ते हों और शास्त्र आदि या जो भी ग्रन्थ, उनका आदर-सत्कार-पूजन करो । और भ्रूमध्य में सूर्यदेव का ध्यान करो । जिससे पढ़ाई-लिखाई में आगे बढ़ोगे ।












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