श्रीडूंगरगढ़ लाइव न्यूज़ 9 जनवरी 2024
कृषि विभाग श्रीडूंगरगढ़ जैसा की विदित है की गेहूं में जिंक कमी से उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है हालांकि मिट्टी परीक्षण के आधार पर जिंक का स्तर 0.60 पीपीएम से कम पाया जावे तो बुआई के समय बैसल में उपयोग करना चाहिए लेकिन जिन्होंने बैसल में उपयोग नहीं किया या वर्तमान में गेहूं पत्तियों के बीच की नस के पास से समानांतर पीली पड़ने , लेकिन नस हरी रहने या पौधों की वर्द्धि रुकना शुरू हो जाए तथा यूरिया के छिड़काव करने के बावजूद भी फसल में हरापन नही आए* चूंकि जिंक की कमी पौधों में फुटान के समय शुरू की तीसरी अथवा चौथी पत्ती से आरंभ होना दिखाई देवे तो जिंक की कमी है अतः खड़ी फसल में जिंक सल्फेट(21%) 500 ग्राम अथवा जिंक सल्फेट (33%) 350 ग्राम तथा 100 लीटर पानी में 2 किलो यूरिया अवश्य मिलाकर छिड़काव अवश्य करे अन्यथा पौधो के पत्ते जल सकते है इसके अतिरिक्त चिलेटेड जिंक (12% EDTA) 100 ग्राम को 100 लीटर में मिलाकर भी छिड़काव कर सकते है फसल में प्रथम छिड़काव बुआई के 45 दिन बाद तथा दूसरा दो सप्ताह बाद दोहराना चाहिए।










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