श्रीडूंगरगढ़ लाइव 25 जून 2023। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर दुनिया के अनेक देशों में योगाभ्यास के साथ योग दिवस मनाया गया। पिछले नौ सालों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाया जा रहा है। 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक स्तर पर योग समारोह का विचार दुनिया के सामने रखा था। उनके प्रस्ताव को संयुक्तराष्ट्र महासभा में असाधारण समर्थन मिला, जिसके चलते 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में आधिकारिक स्वीकृति मिली। इस उल्लेखनीय निर्णय ने योग की वैश्विक स्वीकार्यता व प्रासंगिकता रेखांकित की, जो भौगोलिक व सांस्कृतिक सीमाओं को पार करता है। इस संदर्भ में इस बार का योग दिवस भारत के लिए काफी विशेष रहा। न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के प्रांगण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में योगाभ्यास का कार्यक्रम आयोजित हुआ, उसमें करीब-करीब दुनियाभर -के प्रतिनिधियों और अन्य लोगों ने शामिल होकर योग की महत्ता और उपयोगिता को सिद्ध कर दिया। इस कार्यक्रम में इतने अधिक देशों के लोग शामिल हुए कि एक कीर्तिमान स्थापित होकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ। इस उपलब्धि की विशेष वजह यह थी कि इस कार्यक्रम में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति थी। सारी दुनिया को पता है कि इस योग दिवस की अवधारणा को स्थापित करने में मोदी ही हैं। आज दुनिया के कोने-कोने में योग पहुंच गया है और करोड़ लोग उसका अभ्यास कर अपने जीवन में बदलाव ला रहे हैं। योग जैसे-जैसे लोकप्रिय हो रहा है, वैसे-वैसे भारत की सांस्कृतिक शक्ति से विश्व परिचित हो रहा है। यह बेहतरी एकता व सामंजस्य के साथ ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की सच्ची भावना प्रकट करता है। यह भी याद रखा जाना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस वर्तमान विश्व के समक्ष उपस्थित अनेक चुनौतिनयों का सामना करने का विशिष्ट अवसर प्रदान करता है। यह विभिन्न पृष्ठभूमियों, धर्मों व राष्ट्रीयताओं के लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने में ‘अहम भूमिका निभाता है। योग का एकजुट होकर व्यवहार करने से व्यक्ति साझा मानवीयता का उत्सव मनाते हुए समावेशी वैश्विक समुदाय का निर्माण कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस सांस्कृतिक आदान-प्रदान, परस्पर सम्मान और सभी जीवों के बीच अंतर्निहित संबंध स्वीकार करता है। यह हमें याद दिलाता है कि अपनी भिन्नताओं के बावजूद हम शांति, सामंजस्य और बेहतरी आकांक्षाओं में एक हैं। योग की क्षमताओं को समझने की जरूरत है।
लेखिका
राजू सुथार
सांडवा, बीदासर










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