श्रीडूंगरगढ़ लाइव 04 जून 2023। श्रीडूंगरगढ़ में वन विभाग की मिली भगत से हो रही अवैध पेड़ो की कटाई की श्रीडूंगरगढ़ लाइव से फोटो – वीडियो सहित “ग्राउंड जीरो रिपोर्ट” साथी संवाददाता राजू हीरावत के साथ…
शुक्रवार के दोपहर बाद का वक्त। अचानक भास्कर कार्यालय पर मोबाइल की घंटी बजती है। सामने से कस्बे के चिर परिचित व्यक्ति आनंद जोशी की आवाज आती है और वह कहता है कि श्रीडूंगरगढ़ के दक्षिण दिशा में मूमल पैलेस से पहले वाली गली में 1 किमी दूर वन विभाग की भूमि पर धड़ल्ले से अवैध कारोबार हो रहा है, आप मौके पर जल्दी पहुंचे। सूचना के साथ ही भास्कर की टीम मौके के लिए रवाना हो गई। कुछ दूर तो बाइक चली परन्तु लगभग 1 किमी तक कच्चा रेतीला रास्ता होने के कारण पैदल ही जाना पड़ा।

भास्कर तहसील मुख्यालय के संवाददाता और हमारे मित्र राजू हिरावत ने जब वहां पहुँचकर देखा तो बड़े चौंकाने वाले नजारे वहां देखने को मिले। 50 बीघा जमीन पर चारों तरफ कटे हुए पेड़ों के बंडल, राख से अटी हुई जमीन, कोयले से भरे प्लास्टिक के कट्टे और 7-8 ढेरियों में जलती लकड़ियों से निकलता धुंआ। वहां पर लगभग 20 श्रमिक काम कर रहे थे जिनसे बात करने पर हैरानी हुई कि ये लोग सभी मेड़ता सिटी के है और इनके पास आधार कार्ड रतनगढ़ का है। इससे भी बड़ी हैरानी यह हुई कि इन्हें वन विभाग की भूमि पर इस तरीके से ईलीगल कार्य करते हुए डर तक नहीं लगा। उसी दौरान वनप्रेमी गणेशकुमार भी पहुंचे और जो बातें सामने आयी वह वनमाफ़ियों और वन विभाग के कार्मिकों की मिलीभगत को सीधा सा उजागर करती है और खुद श्रमिकों ने बात ही बात में वन विभाग के कार्मिकों की मिलीभगत की ओर इशारा कर दिया था।अपने पर आरोप लगने के बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने अपना पल्ला झाड़ लिया और इनको पहचानने से ही इनकार कर दिया। पत्रकार राजू हिरावत ने तत्काल ऊर्जावान सम्भागीय आयुक्त डॉ नीरज के. पवन और एसडीएम को दूरभाष पर सूचना दी और सम्बंधित अधिकारी के नम्बर भेजे। सम्भागीय आयुक्त ने वन विभाग के अधिकारियों को कार्यवाही के निर्देश दिए और दूसरे दिन शनिवार को दोपहर डीएफओ सुनील गौड़ सहित टीम ने मौके का मुआवना किया।

पेड़ काटना हो सकती हैं बड़ी साजिश
जिस तरह से पेड़ो की कटाई के लिए वहां उपकरणों की व्यवस्था की गई है और पेड़ काटने वालो ने अपनी अस्थायी ढाणियां बनाई है उससे लग रहा है कि ये खेल सिर्फ पेड़ कटाई तक ही सीमित नही है अपितु सरकार की करोड़ो की जमीन पर इन भूमाफियाओं और सरकारी अधिकारियों की नजर लग गयी है। ऐसा कभी नही हो सकता कि विभागीय कार्यालय से महज कुछ ही दूरी पर होने के बावजूद विभाग को खबर ना हो और उसने इस कुकृत्य के प्रति अपनी आंखें बंद कर रखी हो। सभी बातों से यह बात नजर आ रही है कि इस गैर तरीके से पेड़ों की कटाई करके उसे खेत का रूप दे दिया जाए। दूसरी सम्भावना यह भी है कि पेड़ काटकर वहां जमीनों पर कब्जे कर लिए जाए और फिर अवैध कॉलोनियां बसा दी जाए। प्रशासन को इस सख्त कार्यवाही की आश्यकता है। इसके साथ ही कुछ लोगों का यह कहना है कि सीधे तौर पर लकड़ी ले जाने पर इन्हें जब्त किया जा सकता है इसलिए इनका यहीं कोयला बनाकर बेचा जा रहा था।

विभाग द्वारा की गई मुकद्दमे की खानापूर्ति
भास्कर की टीम के साथ श्रीडूंगरगढ़ लाइव ने अवैध रूप से काटे जा रहे वन विभाग के पेड़ों की खबर पर मौके का शुक्रवार शाम को मुआयना किया तो चौंकाने वाली बात सामने आई कि कोयला भी यहीं बनाया जा रहा है। साथी भास्कर संवाददाता राजू हीरावत ने इसकी सूचना सम्भागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन और एसडीएम मुकेश चौधरी को दी। सम्भागीय आयुक्त ने तुरन्त रेंजर को कॉल करके घटना की जानकारी ली और इसके साथ ही वन विभाग के कार्यवाहक डीएफओ सुनील गौड़ को मौका निरीक्षण करने का कहा। डीएफओ सुनील गौड़ और सहायक वन संरक्षक कपिल चौधरी ने मौके का जायजा लिया तो उन्हें भास्कर द्वारा दी गई जानकारी सटीक पाई और इस दौरान रेंजर द्वारा कार्यवाही करते हुए सिर्फ एक श्रमिक महेंद्र नाथ को वन अधिनियम 1953 के तहत गिरफ्तार किया गया और 40 कट्टे कोयलों के और लगभग 100 क्विंटल लकड़ी भी जब्त की जबकि वहां पर कम से कम 20 महिला-पुरूष श्रमिको द्वारा गैर कानूनी कार्यवाही की जा रही थी। परन्तु हैरानी की बात है कि वहां प्रयोग में लाई गई मशीनरी और सैकड़ों क्विन्टल लकड़ी जब्त नहीं की गई और इसके साथ कोयले के कट्टे भी कम दिखाए गए हैं।










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