
राजस्थान विधानसभा सत्र कल पेश होने जा रहा है. वहीं, बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का ऐलान किया है. इसी जवाब में गहलोत सरकार अपना विश्वास मत प्रस्तुत करेगी.
बता दें कि अबसे पहले भी राजस्थान विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव लाए जा चुके हैं. अब तक तीन बार भैरों सिंह शेखावत और एक बार अशोक गहलोत विश्वास मत लाए. पहली बार मार्च 1990 में राजस्थान विधानसभा में विश्वास मत आया. भैरों सिंह शेखावत की सरकार ने ध्वनि मत से सदन का विश्वास जीता था. 23 मार्च 1990 को पहली बार विश्वास मत आया था. इसके बाद नवंबर 1990 में विश्वास मत आया. 
खुद तत्कालीन CM भैरों सिंह शेखावत और ओम प्रकाश गुप्ता ने प्रस्ताव रखा था. 80 के मुकाबले 116 वोट से विश्वास मत जीता था. तीसरी बार 1993 में भैरों सिंह शेखावत ने विश्वास मत प्रस्ताव रखा. 31 दिसंबर 1993 को सदन में वोटिंग हुई. तब बीजेपी के पास 48 फ़ीसदी से कम विधायक थे लेकिन फिर भी भैरों सिंह शेखावत ने सदन का विश्वास हासिल किया. अशोक गहलोत 2009 में विश्वास मत प्रस्ताव लाए थे. 3 जनवरी 2009 को सदन में विश्वास मत रखा गया तब गहलोत सरकार ने भी सदन का विश्वास जीता था. गहलोत के पास उस वक्त 48 फ़ीसदी सदस्य थे.
साथ ही बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव का भी राजस्थान में लंबा इतिहास रहा. अब तक सदन में 11 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है. इनमें से तीन बार अपर्याप्त संख्या के कारण प्रस्ताव खारिज हुआ जबकि एक बार प्रस्ताव लाने वाले ने ही वापस ले लिया. पहली बार 1952 में अविश्वास प्रस्ताव आया था. टीकाराम पालीवाल की सरकार के खिलाफ निर्दलीय इंद्रनाथ मोदी का प्रस्ताव आया था. प्रस्ताव ध्वनि मत से गिर गया था. दूसरा प्रस्ताव मोहनलाल सुखाड़िया की सरकार के खिलाफ आया. 19-20 फरवरी 1958 को बहस और वोटिंग हुई. 

23 के मुकाबले 123 वोट से प्रस्ताव गिर गया था. राजा मानसिंह और भैरों सिंह शेखावत अविश्वास प्रस्ताव लाए थे. तीसरी विधानसभा में मोहनलाल सुखाड़िया की सरकार के खिलाफ पांच बार अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ. पांचों बार ही मोहनलाल सुखाड़िया ने विरोधियों को धूल चटाई. ![]()
चौथी से आठवीं विधानसभा तक हर सदन में अविश्वास प्रस्ताव आया है. बरकतुल्लाह खान की सरकार के खिलाफ मनोहर सिंह का अविश्वास प्रस्ताव आया. हरिदेव जोशी सरकार के खिलाफ 28 अगस्त 1974 में अविश्वास प्रस्ताव आया था लेकिन पर्याप्त संख्या बल के कारण अविश्वास मत की अनुमति नहीं मिली. भैरों सिंह शेखावत सरकार के खिलाफ सितम्बर 1979 में अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ. 3 दिन चली बहस के बाद भी भैंरोसिंह शेखावत शेखावत सरकार जीती.
छठी विधानसभा में ही दूसरी बार भैरों सिंह शेखावत सरकार के खिलाफ अविश्वास मत लाया गय हालांकि गुल मोहम्मद और नवनीत पालीवाल ने खुद ही प्रस्ताव वापस ले लिया था. जगन्नाथ पहाड़िया की सरकार के खिलाफ अप्रैल 1981 में अविश्वास मत आया. ध्वनि मत से ही यह प्रस्ताव खारिज हो गया था. अंतिम बार अविश्वास प्रस्ताव हरिदेव जोशी सरकार के खिलाफ आया था. 29 जुलाई 1985 को सदन में चर्चा हुई. भैरों सिंह शेखावत, नाथूराम मिर्धा प्रो केदार और श्योपत सिंह अविश्वास प्रस्ताव लाए थे. ध्वनि मत से यह अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया था










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