




श्रीडूंगरगढ़ लाइव…14 फरवरी 2023। प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
महाराजा डूंगरसिंह का राजतिलक और नजराना
महाराजा डूंगरसिंहजी बहादुर का राजतिलक संवत 1929 सावण सुदी 7 को हुआ, जिसमें इस क्षेत्र के जागीरदारों ने निम्न प्रकार निजराणा भेंट किया ।
रूपालसर के बीका रणजीत सिंह ने 120 रुपये ।
लाधड़िया के फतेसिंह ने 40 रुपये ।
जोधासर के चूंडावत ने 25 रुपये ।
पुनदलसर के शेखावत खेतसिंह ने 100 रुपये ।
लखासर के तंवरों ने 850 रुपये ।
पूनरासर ने 11 रुपये ।
इन्दपालसर सांखला ने 50 रुपये ।निजराणा में दिए ।
श्री डूंगरगढ बसने के पांच ही वर्षों बाद, अर्थात संवत् 1944 भादवा बदी अमावस्या को महाराजा श्रीडूंगरसिंहजी का देवलोक गमन हो गया। उनका जन्म संवत 1911 को भादवा बदी 14 को हुआ था। वे इस संसार में 33 वर्षों तक ही रहे।
महाराजा श्री डूंगरसिंहजी के पिताजी का नाम लालसिंह था और लालसिंह के दो पुत्र हुए, जिनमें बड़े पुत्र का नाम डूंगरसिंहजी तथा छोटे पुत्र का नाम गंगासिंहजी था।
डूंगरसिंहजी से पहले बीकानेर के महाराजा सरदार सिंह जी थे। उनके कोई पुत्र न होने से उन्होंने लालसिंह जी के पुत्र डूंगरसिंहजी को गोद ले रखा था। डूंगरसिंहजी की मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई श्री गंगासिंहजी बीकानेर के राजा बने ।
सरदारसिंहजी की भांति डूंगरसिंहजी के भी कोई संतान नहीं हुई, इसलिए छोटे भाई को गद्दी पर बैठाया गया।डूंगरसिंहजी के पिता लालसिंह पुत्र डूंगरसिंहजी की असामयिक मृत्यु के कारण टूट से गए और वे स्वयम भी 56 वर्ष की अवस्था में अपने पुत्र की मृत्यु के एक महीने बाद ही इहलोक को छोड़ गए ।










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