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करे योग … रहे निरोग…. राजू हीरावत के साथ

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श्रीडूंगरगढ़ लाइव…06 फ़रवरी 2023 ।श्रीडूंगरगढ़ लाइव के सभी पाठकों के लिए इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए योग के आसन, प्राणायाम की पूरी जानकारी के सहित सही व सटीक विधि स्वास्थ्य कॉलम में प्रस्तुत की जाएगी। ये कॉलम पाठकों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए राजू हीरावत, योग व मेडिटेशन स्पेशलिस्ट द्वारा प्रस्तुत की जाएगी। आप दी गई जानकारी के लिए अपनी जिज्ञासा व्हाट्सएप नम्बर 9414587266 पर मैसेज कर जान सकेंगे।

उष्ट्रासन

उष्ट्रासन में शरीर ऊंट की आकृति बनाता है। इस आसन को अंग्रेजी में Camel Pose भी कहा जाता है। जैसे ऊंट रेगिस्तान के मुश्किल हालातों में भी आसानी से रह सकता है, अगर इस आसन का अभ्यास नियमित तौर पर किया जाए तो ये शरीर से हर शारीरिक और मानसिक परेशानी को दूर करके स्वस्थ जीवन देने में मदद करता है।

विधि

1. आसन को शुरू करने के लिए योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं और अपने हाथ अपने हिप्स पर रख लेंं।

2. सुनिश्चित करें कि आपके घुटने और कंधे एक ही लाइन में हों और पैरों के तलवे छत की तरफ रहें।

3. सांस भीतर लें और रीढ़ की निचली हड्डी को आगे की तरफ जाने का दबाव डालें। इस दौरान पूरा दबाव नाभि पर महसूस होना चाहिए।

4. इसे करने के दौरान अपनी कमर को पीछे की तरफ मोड़ें। धीरे से हथेलियों की पकड़ पैरों पर मजबूत बनाएं।

5. अपनी गर्दन को ढीला छोड़ दें। गर्दन पर बिल्कुल भी तनाव न दें।

6. इस आसन को 30 से 60 सैकंड तक बनाए रखें। इस अवधि के बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आसन को छोड़ दें और पुरानी अवस्था में लौट आएं।
*सावधानियां*
1.अगर आप कमर या गर्दन में चोट लगी है या फिर दर्द रहता है तो इस आसन को न करें।
2. अगर आपको हाई बीपी या लो बीपी की शिकायत है तो इस आसन को करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
3. इंसोम्निया और माइग्रेन की समस्या से परेशान लोग भी इस आसन से दूर रहें।

फायदे
1. ये आसन पाचन सुधारने में मदद करता है क्योंकि ये पेट के भीतर मौजूद सभी अंगों की हल्की मालिश करता है।
2. उष्ट्रासन के अभ्यास से सीने और पेट के निचले हिस्से से अतिरिक्त चर्बी कम होती है।
3. ये कमर और कंधों को मजबूत बनाता है।
4. ये कमर के निचले हिस्से में दर्द कम करने में मदद करता है।
5. इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ता है। शरीर का पोश्चर सुधारने में भी ये आसन मदद करता है।

उष्ट्रासन के ​पीछे का विज्ञान
ये आसन शरीर में बेहतरीन खिंचाव देता है। इसके अलावा ये आसन शरीर के सामने के हिस्से को खोलने के अलावा पेक्टोरल मसल्स और हिप्स को जोड़ने वाली मांसपेशियों को भी खोलता है। ये आसन पैरों, जांघों, सीने और पेट के नीचे की मांसपेशियों को टोन करता है। मूलत: हमारे शरीर के सामने के पूरे हिस्से और साइड्स पर इस आसन को करने के दौरान दबाव पड़ता है।

उष्ट्रासन लंबे वक्त में हमारे शरीर के प्रवाह तंत्र पर, सांस लेने के सिस्टम, मांसपेशियों, अस्थि​ पिंजर, एंडोक्राइन और पाचन सिस्टम को सुधारने में मदद करता है। चाहें आपको डायबिटीज, अस्थमा, थायरॉयड, पैराथायरॉयड, स्पांडलाइटिस या ब्रांकाइटिस की समस्या ही क्यों न हो, ये आसन हर बीमारी पर थेरेपी की तरह काम करता है।

डॉक्टर भी इस आसन को करने की सलाह उन लोगों को देते हैं जो मोटापे, किडनी की समस्या और नपुंसकता से परेशान हैं। उष्ट्रासन के नियमित अभ्यास से कोलाइटिस, कब्ज या कांस्टिपेशन और डिस्पेप्सिया को भी ठीक किया जा सकता है। योग के माध्यम से कुं​डलिनी जागरण करने वाले मानते हैं कि ये आसन हृदय चक्र को जाग्रत करने में मदद करता है।

 

 

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