श्रीडूंगरगढ़ लाइव न्यूज।29जून 2021
सर्वांगासन
सर्व अंग और आसन अर्थात सर्वांगासन। इस आसन को करने से सभी अंगों को व्यायाम मिलता है इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं।
विधि
सांसो को धीरे ले और दोनों पैरों को मिलाकर धीरे-धीरे ऊपर की ओर 90 डिग्री फिर 180 डिग्री ले जाए। पैरों को सीधा रखेंगे और दोनों हाथों से कमर को सहारा या पकड़े। शरीर का पूरा भार कंधे और गर्दन पर हो जाएगा। सांसों को सामान्य रूप से ले और छोड़ ।
सावधानी
कोहनियाँ भूमि पर टिकी हुई हों और पैरों को मिलाकर सीधा रखें। पंजे ऊपर की ओर तने हुए एवं आँखें बंद हों अथवा पैर के अँगूठों पर दॄष्टि रखें। जिन लोगों को गर्दन या रीढ़ में शिकायत हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।
लाभ
लाभ : थायराइड एवं पिच्युटरी ग्लैंड के मुख्य रूप से क्रियाशील होने से यह कद वृद्धि में लाभदायक है। दमा, मोटापा, दुर्बलता एवं थकानादि विकार दूर होते है। इस आसन का पूरक आसन मत्स्यासन है, अतः शवासन में विश्राम से पूर्व मत्स्यासन करने से इस आसन से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।











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