श्रीडूंगरगढ़ लाइव न्यूज़ 28 सितंबर 2024
जम्मू-कश्मीर में बीकानेर के जवान रामस्वरूप कस्वां की मौत के मामले में तीसरे दिन भी नेशनल हाईवे-11 जाम रहा। परिजन और समाज के लोग उन्हें शहीद का दर्जा दिलाने की मांग पर अड़े हैं। साथ ही बिना कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के जवान की मौत को सुसाइड बताने वाले सैनिक कल्याण अधिकारी भी कार्रवाई की मांग की जा रही है।
गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे से जारी धरना शनिवार देर शाम तक जारी रहा। जाम लगने के कारण ट्रैफिक डायवर्ट किया गया है। बीकानेर के PBM अस्पताल परिसर से वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। ऐसे में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा।नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल शनिवार को धरने में पहुंचे। उन्होंने कहा- हम शहीद का दर्जा ही तो मांग रहे हैं, न तो सरकार में दम है न समाज के नेताओं में। अगर मैं सरकार में होता तो 15 मिनट में शहीद का दर्जा दे देता।दरअसल, बीकानेर के पांचू के रहने वाले जवान रामस्वरूप कस्वां (24) की 25 सितंबर को अनंतनाग में गोली लगने से मौत हुई थी। प्रारंभिक तौर पर सामने आया था कि ऑन ड्यूटी फायरिंग के दौरान जान गई, जिसे बाद में सुसाइड बताया गया। परिजनों का मानना है कि जवान की मौत ऑन ड्यूटी हुई है, ऐसे में उसे शहीद का दर्जा मिलना चाहिए। जवान की बॉडी लेने से भी परिवार ने इनकार कर दिया।
परिवार शहीद का दर्जा मांग रहाः बेनीवाल हनुमान बेनीवाल ने कहा- कस्वां की मौत के मामले में डिप्रेशन की बात सामने आ रही है। अगर लोग डिप्रेशन के शिकार होने लगे और सेना की नौकरियां छोड़ कर आने लगे तो कोई भविष्य नहीं रह जाएगा। न कोई पेंशन हैं, न शहीद का दर्जा है तो फिर कोई क्यों देश के लिए लड़ेगा। हम केवल शहीद का दर्जा मांग रहे हैं। कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी चल रही है। अगर बीकानेर का प्रशासन समझदार होता, हमारी कौम के नेताओं का खून पानी नहीं होता तो हमारे नौजवानों को ऐसे धरने पर नहीं बैठना पड़ता।
बेनीवाल ने कहा- मेरी जवान रामस्वरूप के भाई श्रीराम से बात हुई। उन्होंने बताया कि सेना के अधिकारियों की तरफ से गोली लगने की बात कही गई। सुसाइड की कोई बात नहीं कही। अगर आत्महत्या होती तो रामस्वरूप पढ़े लिखे थे, वे सुसाइड नोट लिखते, अपनी बात कहते। ऐसे में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की कोई आवश्यकता नहीं थी। परिवार शहीद के दर्जे की मांग कर रहा है। यहां बैठे भाजपा के नेता नहीं चाहते कि किसान कौम का भला हो। सेना को ठेके पर दे दिया। उनको कोई चिंता नहीं है। भाजपा सिर्फ धार्मिक भावनाओं से खेलती है।
इन मांगों पर अड़े परिजन
रामस्वरूप कस्वां के परिवार के साथ नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, नोखा विधायक सुशीला डूडी, डूंगरगढ़ के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा ने चर्चा की। रामस्वरूप कस्वां को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए बनी संघर्ष समिति और प्रशासन के बीच जिन मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन रही है, उसमें सबसे बड़ी मांग शहीद का दर्जा ही है।दरअसल, शहीद का दर्जा देने का अधिकार जिला प्रशासन और राज्य सरकार के पास नहीं है। शहीद की तरह अंतिम यात्रा और अंतिम संस्कार की मांगपर प्रशासन सहमत है। वहीं जिला सैनिक अधिकारी पर कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। परिजनों की डिमांड है कि आत्महत्या घोषित करने वाले जिला सैनिक अधिकारी को तुरंत हटाया जाए।










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