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श्रीडूंगरगढ़ में बढ रहा आई फ्लू का प्रकोप, एक सप्ताह में 3000 से ऊपर मरीज, डॉ सुनील गोयल से जाने उपचार और रोकथाम

श्रीडूंगरगढ़ लाइव 02 अगस्त 2023। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में सरकारी आंखों के अस्पताल में प्रतिदिन 500 से अधिक औसत रूप से आउटडोर हो रहे है और उनमें 80प्रतिशत से अधिक मरीज आइफ़्लू से ग्रसित होकर आ रहे हैं। अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे डॉ. सुनील गोयल ने बताया कि बरसात के मौसम में गर्मी और उमस के कारण आंखों की बीमारियां खासकर आई- फ्लू बहुत तेजी से फैल रहा है। इन दिनों वायरल आई- फ्लू से पीड़ित हजारों व्यक्ति नेत्र विशेषज्ञों के पास इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। वर्तमान में अस्पताल में रोज 400 से ज्यादा मरीज सिर्फ आई फ्लू के आ रहे हैं। जिनमें से कई स्कूली बच्चे और छोटे बच्चे भी हैं। आई- फ्लू के कम्युनिटी स्प्रेड को रोकने के लिए हमें सावधानी रखना बहुत जरूरी है।

श्रीडूंगरगढ़ आंखों के हॉस्पिटल में मरीजों की कतार

आई-फ्लू या कन्जंक्टिवाइटिस या पिंक- आई क्या है…?

बारिश का मौसम यानी कंजेक्टिवाइटिस मौसम। आंखों में आई- फ्लू नामक बीमारी बारिश के मौसम में बहुत तेजी से फैलती है। नेत्र विशेषज्ञ डॉ. सुनील गोयल ने बताया कि इसे आम भाषा में आंख आना भी कहते हैं। आई- फ्लू एक बेहद संक्रामक नेत्र रोग है। आई- फ्लू बरसात के समय विषाणुओं एडिनोवायरस टाईप 8 व 19 या जीवाणुओं स्टेफायलोकोकस, न्यूमोकोकस, हीमोफिलस इन्फ्लूएंजा आदि के संक्रमण से होता है। शुरुआत में आई- फ्लू नामक इन्फेक्शन एक आंख में होता है, पर सावधानी न बरतने पर यह दूसरी आंख में हो सकता है। इसमें पहले आंख लाल होना शुरू होती है और कुछ घंटों में ही जलन, चुभन, पलकों में सूजन होने लगती है तथा आंख से पानी आने लगता है। संपर्क में आने पर आई- फ्लू बहुत तेजी से फैलता है। वायरल आई फ्लू में कभी-कभी कानों के पास कनपटी पर सूजन भी हो सकती है। इसका असर 7 से 10दिन तक रहता है। उपचार लेने पर जल्दी ठीक हो जाता है। वायरल कन्जंक्टिवाइटिस से पीड़ित व्यक्ति को उपचार में देरी होने पर कॉर्निया में सूक्ष्म जख्म होने के कारण प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता (फोटोफोबिया) बढ़ जाती है। उपचार के अभाव में रोशनी में धुंधलापन हमेशा के लिए हो सकता है।

क्या हैं आई – फ्लू के लक्षण, रोकथाम

डॉ. गोयल ने बताया कि आई फ्लू के लक्षणों में आंखें लाल होना व पलकों में सूजन होना, आंखों में दर्द, कंकड़ जैसी चुभन होना, पानी बहना, सवेरे उठते समय आंखें चिपक जाना, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाना (फोटोफोबिया) और दृष्टि में धुंधलापन होना लक्षण है। इसकी रोकथाम के लिए बरसात के मौसम में गंदे पानी से आंखें नहीं धोएं, बरसात के पानी से आंखों को बचा कर रखें। बरसात के मौसम में भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें, स्वीमिंग पूल, झरने, तालाब में नहीं नहाएं। संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने से बचें और संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने के बाद साबुन से हाथ अवश्य धोएं।
आई – फ्लू होने पर बच्चों को चार-पांच दिनों के लिए स्कूल न भेजें। ऑफिस में कार्य करते समय दूसरों के सम्पर्क में कम से कम रहें। स्वच्छ तौलिया व रूमाल, स्टेराइल आई-वाइप का प्रयोग करें।

आई- फ्लू का इलाज और सावधानियां

डॉ. सुनील गोयल ने बताया कि नेत्र विशेषज्ञों से परामर्श कर एंटीबायोटिक, लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स, एंटीबायोटिक आई आईन्टमेन्ट का प्रयोग करें। गहरे कलर का चश्मा पहन सकते हैं। आंखों को स्टेराइल रूई या स्टेराईल आई – वाईप से 3-4 बार साफ करें। आई- फ्लू से पीड़ित रोगी की आंख में दवा डालते समय इस बात का ध्यान रखें कि दवा के आगे वाला भाग रोगी की आंख और अंगुलियों को स्पर्श न करें। दवा डालने से पहले और बाद में अपने हाथों को साबुन से धो लें। आई – फ्लू से पीड़ित व्यक्ति अपना चश्मा, तोलिया, रूमाल, तकिया आदि अलग रखें। मानसून के दिनों में आई मेकअप का उपयोग कम से कम करें। अपने आई मेकअप को दूसरे के साथ सांझा नहीं करें।

डॉ गोयल ने कहा कि आई फ्लू का इलाज बिना किसी डॉक्टर के परामर्श के ना करे। सरकारी अस्पताल में इसके लिये निःशुल्क दवाईयां उपलब्ध है।

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