

श्रीडूंगरगढ़ लाइव न्यूज । 10/09/2020. काम में बरकत लाने के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। कन्या संक्रांति के दिन पहले इंजीनियर माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। इसी कारण हर साल विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। इस बार यह जयंती 16 सिंतबर को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा जयंती के दिन फैक्ट्री, शस्त्र, बिजनेस आदि की पूजा की जाती है। जिससे कि बिजनेस और रोजगार में तेजी से तरक्की हो।
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहूर्त: 16 सितंबर- सुबह 10 बजकर 9 मिनट से 11 बजकर 37 मिनट तक

विश्वकर्मा देवता की पूजा विधि
धार्मिक मान्यताओं के अनसार प्राचीन काल में सभी राजधानियों का निर्माण विश्वकर्मा जी ने किया था। जिसमें स्वर्ग लोक, द्वारिका, हस्तिनापुर, रावल की लंका शामिल है। जानें विश्वकर्मा देवता की पूजा किस तरह से करना चाहिए.
.सबसे पहले स्नान कर लें
इसके बाद भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें
सके साथ ही पूजा के लिए साबुत चावल, फल, रोली, सुपारी, धूप, दीपक, रक्षा सूत्र, दही, मिठाई, शस्त्र, बही-खाते, आभूषण, कलश रखें
अष्टदल से रंगोली बनाएं
अब इस रंगोली में भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर स्थापित करें
इसके बाद उन्हें फूल चढ़ाते हुए बोले-हे विश्वकर्मा जी आएं और हमारी पूजा को स्वीकार करें
बिजनेस से जुड़ी चीजें, शस्त्र, आभूषण, औजार आदि में रोली और अक्षत लगाकर फूल चढ़ाएं
सतनजा पर कलश रख दें
कलश में रोली-अक्षत लगाएं
दोनों चीजों को हाथों में लेकर मंत्रों का जाप करें
ये मंत्र हैं -‘ऊं पृथिव्यै नम: ऊं अनंतम नम: ऊं कूमयि नम: ऊं श्री सृष्टतनया सर्वासिद्धया विश्वकर्माया नमो नम:’ मंत्र पढ़कर सभी चीजों पर रोली और अक्षत छिड़कें
इसके बाद फूल चढ़ाएं
अब भगवान को भोग लगाएं और जल पिलाएं
इसके बाद दीपक जलाकर आरती करें और आचमन करें
अब प्रसाद कर किसी को दें


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