

प्रदेश की 3848 ग्राम पंचायतों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होते ही अब अशोक गहलोत सरकार पर अब राजनीतिक नियुक्तियां देने का दबाव बनने लग गया है. इसके पीछे प्रमुख कारण है कि आयोग की ओर से जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव अलग से कराने की घोषणा. आयोग ग्राम पंचायत चुनाव के बाद प्रदेश में 33 जिला परिषद और 365 से अधिक पंचायत समितियों के चुनाव की कभी घोषणा कर सकता है.


जिला परिषद के चुनाव जीतना सबसे बड़ी चुनौती कई बार हो चुका है राजनीतिक नियुक्तियों देने का वादा
जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव पार्टी के सिंबल के आधार पर होते आए हैं. जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव जीतने के लिए सीएम अशोक गहलोत को ब्लॉक स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं को उपकृत करना होगा तभी वो सक्रिय होंगे. इन संस्थाओं में चुनाव जीतने के लिये छोटे स्तर पर राजनीतिक नियुक्तियां और संगठन में जगह देकर पार्टी को इसकी शुरुआत करनी होगी. राज्य में कांग्रेस की सरकार को बने हुए करीब पौने 2 साल बीत चुके हैं. चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं को सरकार बनने के बाद सत्ता में हिस्सेदारी देने के वादे किए गए थे. लेकिन सरकार अभी तक वह वादा पूरा नहीं कर पायी है. अब पार्टी और सरकार दोनों पर वादे को पूरा करने का दबाव है.

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